02-02-08  ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

‘‘सम्पूर्ण पवित्रता द्वारा रूहानी रॉयल्टी और पर्सनालिटी का अनुभव करते, अपने मास्टर ज्ञान सूर्य स्वरूप को इमर्ज करो’’

आज बापदादा चारों ओर के अपने रॉयल्टी और पर्सनालिटी के परिवार को देख रहे हैं। यह रॉयल्टी वा रूहानी पर्सनालिटी का फाउण्डेशन है सम्पूर्ण प्युरिटी। प्युरिटी की निशानी सभी के मस्तक में, सभी के सिर पर लाइट का ताज चमक रहा है। ऐसे चमकते हुए ताजधारी रूहानी रॉयल्टी, रूहानी पर्सनालिटी वाले सिर्फ आप ब्राह्मण परिवार ही हैं क्योंकि प्युरिटी को अपनाया है। आप ब्राह्मण आत्माओं की प्युरिटी का प्रभाव आदिकाल से प्रसिद्ध है। याद आता है अपना अनादि और आदिकाल! याद करो अनादिकाल में भी आप प्युअर आत्मायें आत्मा रूप में भी विशेष चमकते हुए सितारे, चमकते रहते हैं और भी आत्मायें हैं लेकिन आप सितारों की चमक सबके साथ होते भी विशेष चमकती है। जैसे आकाश में सितारे अनेक होते हैं लेकिन कोई कोई सितारे स्पेशल चमकने वाले होते हैं। देख रहे हो सभी अपने को, फिर आदिकाल में आपके प्युरिटी की रॉयल्टी और पर्सनालिटी कितनी महान रही है! सभी पहुंच गये आदिकाल में? पहुंच जाओ। चेक करो मेरी चमकने की रेखा कितनी परसेन्ट में है? आदिकाल से अन्तिम काल तक आपके प्युरिटी की रॉयल्टी, पर्सनालिटी सदा रहती है। अनादि काल का चमकता हुआ सितारा, चमकते हुए बाप के साथ-साथ निवास करने वाले। अभी-अभी अपनी विशेषता अनुभव करो। पहुंच गये सब अनादिकाल में? फिर सारे कल्प में आप पवित्र आत्माओं की रॉयल्टी भिन्न-भिन्न रूप में रहती है क्योंकि आप आत्माओं जैसा कोई सम्पूर्ण पवित्र बने ही नहीं हैं। पवित्रता का जन्म सिद्ध अधिकार आप विशेष आत्माओं को बाप द्वारा प्राप्त है। अभी आदिकाल में आ जाओ। अनादिकाल भी देखा, अब आदिकाल में आपके पवित्रता की रॉयल्टी का स्वरूप कितना महान है! सभी पहुंच गये सतयुग में। पहुंच गये! आ गये? कितना प्यारा स्वरूप देवता रूप है। देवताओं जैसी रॉयल्टी और पर्सनालिटी सारे कल्प में किसी भी आत्मा की नहीं है। देवता रूप की चमक अनुभव कर रहे हो ना! इतनी रूहानी पर्सनालिटी, यह सब पवित्रता की प्राप्ति है। अभी देवता रूप का अनुभव करते मध्यकाल में आ जाओ। आ गये? आना अनुभव करना सहज है ना। तो मध्यकाल में भी देखो, आपके भक्त आप पूज्य आत्माओं की पूजा करते हैं, चित्र बनाते हैं। कितने रॉयल्टी के चित्र बनाते और कितनी रॉयल्टी से पूजा करते। अपना पूज्य चित्र सामने आ गया है ना! चित्र तो धर्मात्माओं के भी बनते हैं। धर्म पिताओं के भी बनते हैं, अभिनेताओं के भी बनते हैं लेकिन आपके चित्र की रूहानियत और विधि पूर्वक पूजा में फर्क होता है। तो अपना पूज्य स्वरूप सामने आ गया! अच्छा फिर आओ अन्तकाल संगम पर, यह रूहानी ड्रिल कर रहे हो ना! चक्कर लगाओ और अपने प्युरिटी का, अपनी विशेष प्राप्ति का अनुभव करो। अन्तिमकाल संगम पर आप ब्राह्मण आत्माओं का परमात्म पालना का, परमात्म प्यार का, परमात्म पढ़ाई का भाग्य आप कोटों में कोई आत्माओं को ही मिलता है। परमात्मा की डायरेक्ट रचना, पहली रचना आप पवित्र आत्माओं को ही प्राप्त होती है। जिससे आप ब्राह्मण ही विश्व की आत्माओं को भी मुक्ति का वर्सा बाप से दिलाते हो। तो यह सारे चक्कर में अनादिकाल, आदिकाल, मध्यकाल और अन्तिमकाल सारे चक्र में इतनी श्रेष्ठ प्राप्ति का आधार पवित्रता है। सारा चक्कर लगाया अभी अपने को चेक करो, अपने को देखो, देखने का आइना है ना! अपने को देखने का आइना है? जिसको है वह हाथ उठाओ। आइना है, क्लीयर है आइना? तो आइने में देखो मेरी पवित्रता का कितना परसेन्ट है? पवित्रता सिर्फ ब्रह्मचर्य नहीं लेकिन ब्रह्माचारी। मन-वचन-कर्म, सम्बन्ध-सम्पर्क सबमें पवित्रता है? कितनी परसेन्ट में है? परसेन्टेज निकालने आती है ना! टीचर्स को आती है? पाण्डवों को आती है? अच्छा होशियार हो। माताओं को आती है? आती है माताओं को? अच्छा। पवित्रता की परख है - वृत्ति, दृष्टि और कृति तीनों में चेक करो, सम्पूर्ण पवित्रता की जो वृत्ति होगी, वह आ गई ना बुद्धि में। सोचो, सम्पूर्ण पवित्रता की वृत्ति अर्थात् हर आत्मा के प्रति शुभभावना, शुभकामना। अनुभवी हो ना! और दृष्टि क्या होगी? हर आत्मा को आत्मा रूप में देखना। आत्मिक स्मृति से बोलना, चलना। शार्ट में सुना रहे हैं। डिटेल तो आप भाषण कर सकते हैं और कृति अर्थात् कर्म में सुख लेना सुख देना। यह चेक करो - मेरी वृत्ति, दृष्टि, कृति इसी प्रमाण है? सुख लेना, दु:ख नहीं लेना। तो चेक करो कभी दु:ख तो नहीं ले लेते हो! कभी कभी थोड़ा-थोड़ा? दु:ख देने वाले भी तो होते हैं ना। मानों वह दु:ख देता है तो क्या आपको उसको फॉलो करना है! फॉलो करना है कि नहीं? फॉलो किसको करना है? दु:ख देने वाले को वा बाप को? बाप ने, ब्रह्मा बाप ने निराकार की तो बात है ही, लेकिन ब्रह्मा बाप ने किसी बच्चे का दु:ख लिया? सुख दिया और सुख लिया। फॉलो फादर है या कभी-कभी लेना ही पड़ता है? नाम ही है दु:ख, जब दु:ख देते हैं, इनसल्ट करते हैं, तो जानते हो कि यह खराब चीज़ है, कोई आपकी इनसल्ट करता है तो उसको आप अच्छा समझते हो? खराब समझते हो ना! तो वह आपको दु:ख देता है या इनसल्ट करता है, तो खराब चीज़ अगर आपको कोई देता है, तो आप ले लेते हो? ले लेते हो? थोड़े समय के लिए, ज्यादा समय नहीं थोड़ा समय? खराब चीज़ लेनी होती है? तो दु:ख या इनसल्ट लेते क्यों हो? अर्थात् मन में फीलिंग के रूप में रखते क्यों हो? तो अपने से पूछो हम दु:ख लेते हैं? या दु:ख को परिवर्तन के रूप में देखते हैं? क्या समझते हो पहली लाइन। दु:ख लेना राइट है? है राइट? मधुबन वाले राइट है? थोड़ा थोड़ा ले लेना चाहिए? पहली लाइन, दु:ख ले लेना चाहिए ना! नहीं लेना चाहिए लेकिन ले लेते हो। गलती से ले लेते हो। यह दु:ख की फीलिंग, परेशान कौन होता? मन में किचड़ा रखा तो परेशान कौन होगा? जहाँ किचड़ा होगा वहाँ ही परेशान होंगे ना! तो उस समय अपने रॉयल्टी और पर्सनालिटी को सामने लाओ और अपने को किस स्वरूप में देखो? जानते हो आपका क्या टाइटल है? आपका टाइटल है सहनशीलता की देवी, सहनशीलता का देव। तो आप कौन हो? सहनशीलता की देवियां हो, सहनशीलता के देव हो? कि नहीं? कभी-कभी हो जाते हैं। अपना पोजीशन याद करो, स्वमान याद करो। मैं कौन! यह स्मृति में लाओ। सारे कल्प के विशेष स्वरूप की स्मृति को लाओ। स्मृति तो आती है ना!

बापदादा ने देखा कि जैसे मेरा शब्द को सहज याद में परिवर्तन किया है। तो मेरा के विस्तार को समेटने के लिए क्या कहते हो? मेरा बाबा। जब भी मेरा मेरा आता तो मेरा बाबा में समेट लेते हो। और बार-बार मेरा बाबा कहने से याद भी सहज हो जाती है और प्राप्ति भी ज्यादा होती है। ऐसे ही सारे दिन में अगर किसी भी प्रकार की समस्या या कारण आता है, उसके यह दो शब्द विशेष हैं - मैं और मेरा। तो जैसे बाबा शब्द कहते ही मेरा शब्द पक्का याद हो गया है। हो गया है ना? सभी अभी बाबा बाबा नहीं कहते, मेरा बाबा कहते हैं। ऐसे ही यह जो मैं शब्द है, इसको भी परिवर्तन करने के लिए जब भी मैं शब्द बोलो तो अपने स्वमान की लिस्ट सामने लाओ। मैं कौन? क्योंकि मैं शब्द गिराने के निमित्त भी बनता और मैं शब्द स्वमान की स्मृति से ऊंचा भी उठाता है। तो जैसे मेरा बाबा का अभ्यास हो गया है, ऐसे ही मैं शब्द को बॉडीकान्सेसनेस की स्मृति के बजाए अपने श्रेष्ठ स्वमान को सामने लाओ। मैं श्रेष्ठ आत्मा हूँ, तख्तनशीन आत्मा हूँ, विश्व कल्याणी आत्मा हूँ, ऐसे कोई न कोई स्वमान मैं से जोड़ लो। तो मैं शब्द उन्नति का साधन हो जाए। जैसे मेरा शब्द अभी मैजारिटी बाबा शब्द याद दिलाता है क्योंकि समय प्रकृति द्वारा अपनी चैलेन्ज कर रहा है।

समय की समीपता को कामन बात नहीं समझो। अचानक और एवररेडी शब्द को अपने कर्मयोगी जीवन में हर समय स्मृति में रखो। अपने शान्ति की शक्ति का स्वयं प्रति भी भिन्न-भिन्न रूप से प्रयोग करो। जैसे साइन्स अपना नया-नया प्रयोग करती रहती है। जितना स्व के प्रति प्रयोग करने की प्रैक्टिस करते रहेंगे उतना ही औरों प्रति भी शान्ति की शक्ति का प्रयोग होता रहेगा। अभी विशेष अपने शक्तियों की सकाश चारों ओर फैलाओ। जब आपकी प्रकृति सूर्य की शक्ति, सूर्य की किरणें अपना कार्य कितने रूप से कर रहा है। पानी बरसाता भी है, पानी सुखाता भी है। दिन से रात, रात से दिन करके दिखाता है। तो क्या आप अपने शक्तियों की सकाश वायुमण्डल में नहीं फैला सकते? आत्माओं को अपनी शक्तियों की सकाश से दु:ख अशान्ति से नहीं छुड़ा सकते! ज्ञान सूर्य स्वरूप को इमर्ज करो। किरणें फैलाओ, सकाश फैलाओ। जैसे स्थापना के आदिकाल में बापदादा के तरफ से अनेक आत्माओं को सुख-शान्ति की सकाश मिलने का घर बैठे अनुभव हुआ। संकल्प मिला जाओ। ऐसे अब आप मास्टर ज्ञान सूर्य बच्चों द्वारा सुख-शान्ति की लहर फैलाने की अनुभूति होनी चाहिए। लेकिन वह तब होगी, इसका साधन है मन की एकाग्रता। याद की एकाग्रता। एकाग्रता की शक्ति को स्वयं में बढ़ाओ। जब चाहो जैसे चाहो जब तक चाहो तब तक मन को एकाग्र कर सको। अभी मास्टर ज्ञान सूर्य के स्वरूप को इमर्ज करो और शक्तियों की किरणें, सकाश फैलाओ।

बापदादा ने सुना और खुश है कि बच्चे सेवा के उमंग-उत्साह में जगह-जगह पर सेवा अच्छी कर रहे हैं, बापदादा के पास सेवा के समाचार सब तरफ के अच्छे अच्छे पहुंचे हैं, चाहे प्रदर्शनी करते हैं, चाहे समाचार पत्रों द्वारा, टी.वी. द्वारा सन्देश देने का कार्य बढ़ाते जाते हैं। सन्देश भी पहुंचता है, सन्देश अच्छा पहुंचा रहे हो। गांव में भी जहाँ रहा हुआ है, हर एक जोन अच्छा अपनी अपनी एरिया को बढ़ा रहा है। अखबारों द्वारा टी.वी. द्वारा भिन्न भिन्न साधनों द्वारा उमंग उत्साह से कर रहे हो। उसकी सब करने वाले बच्चों को बापदादा बहुत स्नेहयुक्त दुआओं भरी मुबारक दे रहे हैं। लेकिन अभी सन्देश देने में तो अच्छा उमंग-उत्साह है और चारों ओर ब्रह्माकुमारीज क्या है, बहुत अच्छा शक्तिशाली कार्य कर रही हैं, यह भी आवाज अच्छा फैल रहा है और बढ़ता जा रहा है। लेकिन, लेकिन सुनायें क्या? सुनायें लेकिन... लेकिन ब्रह्माकुमारियों का बाबा कितना अच्छा है, वह आवाज अभी बढ़ना चाहिए। ब्रह्माकुमारियां अच्छा काम कर रही हैं लेकिन कराने वाला कौन हैं, अभी यह प्रत्यक्षता आनी चाहिए। बाप आया है, यह समाचार मन तक पहुंचना चाहिए। इसका प्लैन बनाओ।

बापदादा से बच्चों ने प्रश्न पूछा कि वारिस या माइक किसको कहें? माइक निकले भी हैं, लेकिन बापदादा माइक अभी के समय अनुसार ऐसा चाहते हैं या आवश्यक है जिसके आवाज की महानता हो। अगर साधारण बाबा शब्द बोल भी देते हैं, अच्छा करते हैं इतने तक भी लाया है, तो बापदादा मुबारक देते हैं लेकिन अभी ऐसे माइक चाहिए जिनके आवाज की भी लोगों तक वैल्यु हो। ऐसे प्रसिद्ध हो, प्रसिद्ध का मतलब यह नहीं कि श्रेष्ठ मर्तबे वाला हो लेकिन उसका आवाज सुनकर समझें कि यह कहने वाला जो कहता है, इसकी आवाज में वैल्यु है। अगर यह अनुभव से कहता है, तो उसकी वैल्यु हो। जैसे माइक तो बहुत होते हैं लेकिन माइक भी कोई पावर वाला कितना होता है, कोई कितना होता है, ऐसे ही ऐसा माइक ढूंढो, जिसकी आवाज में शक्ति हो। उसकी आवाज को सुनकर समझ में आवे कि यह अनुभव करके आया है तो अवश्य कोई बात है लेकिन फिर भी वर्तमान समय हर जोन, हर वर्ग में माइक निकले जरूर हैं। बापदादा यह नहीं कहते कि सेवा का प्रत्यक्ष रिजल्ट नहीं निकली है, निकली है। लेकिन अभी समय कम है और सेवा के महत्व वाली आत्मायें अभी निमित्त बनानी पड़ेंगी। जिसके आवाज की वैल्यु हो। मर्तबा भले नहीं हो लेकिन उनकी प्रैक्टिकल लाइफ और प्रैक्टिकल अनुभव की अथॉरिटी हो। उनके बोल में अनुभव की अथॉरिटी हो। समझा कैसा माइक चाहिए? वारिस को तो जानते ही हो। जिसके हर श्वांस में, हर कदम में बाप और कर्तव्य और साथ-साथ मन-वचन-कर्म, तन-मन-धन सबमें बाबा और यज्ञ समाया हुआ हो। बेहद की सेवा समाई हुई हो। सकाश ने की समर्थी हो।

अच्छा - अभी किसका टर्न है? तामिलनाडु, ईस्टर्न और नेपाल:- तो पहले कौन? निमित्त बंगाल, बंगाल वाले उठो। अच्छा। बंगाल वालों ने सेवा का चांस लिया है। तो इन थोड़े दिनों में अपने आपको देखा कि कर्मणा सेवा द्वारा यज्ञ सेवा के महत्व को जान, अपने अन्दर यज्ञ सेवा का पुण्य का खाता कितना जमा किया? सेवा तो वहाँ भी करते रहते हो लेकिन यज्ञ सेवा का महत्व अपना है। तो डबल सेवा की, एक कर्मणा सेवा की और दूसरी सेवा से वायुमण्डल शक्तिशाली बनाया, सन्तुष्ट करने का बनाया, उसका भी डबल पुण्य यज्ञ सेवा का प्रत्यक्षफल भी खाया, खुशी हुई ना। खुश रहे ना बहुत सभी। तो खुशी का प्रत्यक्षफल भी मिला और भविष्य भी जमा हुआ, डबल प्राप्ति की। क्योंकि सब देख करके खुश होते हैं कि कितनी निर्विघ्न सेवा हो रही है। कितने स्नेह से सेवा हो रही है। यह वायुमण्डल फैलाना वा निमित्त बनना इसका भी बड़ा पुण्य मिलता है। तो जिसको भी चांस मिलता है वह यही समझे विशेष पुण्य का खाता जमा करने का चांस मिलाहै। तो जमा किया? हाथ हिलाओ। वर्तमान भी जमा भविष्य में भी जमा। यह साधन है डबल फल प्राप्त करने का। अच्छा है। तो बंगाल वालों ने कोई नवीनता दिखाई? कोई नया कार्य किया है? कोई इन्वेन्शन की है? की है? क्योंकि बंगाल में बाप की पधरामणी हुई है, प्रवेशता हुई है। तो नया कार्य करना है ना! कोई नई इन्वेन्शन निकालो, बापदादा ने पहले भी कहा कि अभी यह जो सेवा कर रहे हो, अच्छी कर रहे हो, बापदादा ने मुबारक दी लेकिन अभी कुछ नया निकालो। किसी भी जोन ने नया कोई प्लैन बनाया है? किसी ने भी? कि वही रिपीट कर रहे हैं? फारेन वालों ने कुछ नया निकाला? सेवा का साधन कोई नया निकालो। जो चल रहे हैं वह तो अच्छा है लेकिन और अच्छा, कोई ने भी निकाला हो वह हाथ उठाओ। कोई ने नहीं निकाला है। वर्गीकरण की सेवा भी अभी तो बहुत समय से चल रही है। अभी कुछ तो नवीनता होनी चाहिए। तो कौन, बंगाल निकालेगा? बाकी अच्छा है।

बापदादा को यह अच्छा लगता है कि हर जोन को चांस मिलता है। सेवा तो वृद्धि को पा रही है, यह तो बापदादा को समाचार मिलते हैं। सेन्टर बढ़ रहे हैं, स्टूडेन्टस भी बढ़ रहे हैं, यह तो है। लेकिन कम खर्चा बालानशीन, ऐसा कोई नया साधन निकालो। बाकी बापदादा बंगाल के जोन (इस्टर्न जोन) में वृद्धि को देख करके खुश है। अच्छा। तो पुण्य जमा किया और यह पुण्य की पूंजी साथ में जायेगी। हाथ खाली नहीं जायेंगे। पुण्य की पूंजी साथ में ले जायेंगे। जितना पुण्य जमा करने चाहो उतना कर सकते हो। बाकी हिम्मत अच्छी की है, हर एक एरिया के सेवासाथी अच्छे हैं। यज्ञ सेवा में पहुंच भी गये हैं और सफल भी किया है। ईस्टर्न में बहुत नदियां इकट्ठी है। बंगाल, बिहार, उड़ीसा, आसाम, नेपाल, तामिलनाडु, आधी सभा है। इतने योग्य बनाया है, इसकी बहुत-बहुत बधाई हो। देखो, टी.वी. में देखो कितने हैं। बहुत अच्छे अच्छे हैं। हाथ हिलाओ। बहुत अच्छा। बापदादा को खुशी है कि यज्ञ सेवा से कितना प्यार है और कितने पहुंच गये हैं। अभी 5 ही नदियां मिलके कोई नया प्लैन बनाओ। आवाज फैलाने का तो किया, अभी और कुछ करो। बाकी बापदादा को खुशी है, कि 5 ही तरफ की संख्या बहुत अच्छी आई है। इतने यहाँ हैं, वहाँ कितने होंगे, इतनी वृद्धि की है, इसकी सब परिवार को भी खुशी है, बापदादा को भी खुशी है। तो अभी स्व परिवर्तन और सेवा में नवीनता इसकी प्राइज लेना। नम्बर लेंगे ना। 5 हैं, और बड़े बड़े हैं छोटे नहीं हैं। कमाल करके दिखाना। आपस में मीटिंग करके कोई नवीनता का प्लैन निकालो क्योंकि अभी कई आत्मायें ऐसी हैं जो सुनते हैं ना, मेला है, प्रदर्शनी है, यात्रायें हैं, कानफ्रेन्स है, तो वह समझते हैं यह तो हमने कर लिया है, देख लिया है। इसलिए नवीनता निकालो। बाकी अच्छी हिम्मत रखी है। बाप की विशेष 5 ही को बहुत-बहुतदिल की दुआयें। वरदान भी है, वरदान बतायें कौन सा है? अमरभव का वरदान है। अमर हैं, अमर रहेंगे और बापदादा के साथ अमरलोक में चलेंगे। चलेंगे ना! पहले जन्म में आना। दूसरे तीसरे में नहीं आना। सभी को उमंग है ना। पहले साथ चलेंगे अपने घर में फिर राज्य में जब आयेंगे तो पहले जन्म में आना। दूसरे तीसरे में मजा नहीं आयेगा। पहले जन्म में कौन आयेंगे? सभी आयेंगे। पहले जन्म की विधि का पता है ना! विधि का पता है - जो पहला नम्बर चार ही सबजेक्ट में होंगे, एक सबजेक्ट भी कम नहीं। सब सबजेक्ट में पहला नम्बर। वह पहले जन्म में साथी बनेंगे। हैं हिम्मत? कोई भी देखो स्थूल पढ़ाई में भी अगर एक सबजेक्ट में भी फेल होते हैं, कम मार्क्स लेते हैं तो वह नम्बरवन तो नहीं आता ना। तो वन जन्म में आना अर्थात् वन नम्बर में आना। मंजूर है। अभी हाथ उठाओ। सोचके हाथ उठाना। अच्छा है। अमर रहना और अमर बनाना। अच्छा।

(तामिलनाडु जोन में 12 ज्योर्तिलिंगम् दिखा करके योग की अनुभूति करा रहे हैं, छोटे छोटे स्थानों में यह सेवा बहुत अच्छी तरह से हो रही है, इसमें खर्चा बहुत कम है) सफलता है? अच्छा है, मुबारक है। यह भी देखो नई इन्वेन्शन की ना, ऐसे और भी कोई नई इन्वेन्शन करो और जगह जगह पर ट्रायल करके देखो कम खर्चा है और है भी शिव के प्रतिमा की यादगार। तो सबकी बुद्धि में एक बाप की यादगार रहेगी। अच्छा है। रिजल्ट तो ठीक है। अभी और भी करके देखो। अच्छा है। सभी को सुनाना क्लास में तो कैसे करते हैं, क्या होता है, अनुभव सुनाना। बाकी अच्छा है। बधाई हो।

अच्छा बिहार वालों ने कुछ किया है? (बिहार में आई बहार इसका एक प्रोजेक्ट बनाया है, बिहार में जहाँ जहाँ सन्देश नहीं पहुंचा है, उसे इस वर्ष में पूरा करेंगे, हर महीने नया सेवाकेन्द्र खोलेंगे) अच्छा किया क्योंकि बिहार में देखा गया है कि ज्यादा में ज्यादा सन्देश मिलना चाहिए। प्रोग्राम बनाया है, यह उमंग उत्साह की मुबारक। अभी बहार आयेगी ना। तो बहार को सब देखेंगे, मजा लेंगे ना बहार का। अच्छा। सेवा का तो सब जो भी कर रहे हैं, हर जोन में कोई न कोई सेवा हो रही है, हर वर्ग भी कर रहा है, सेवा का उमंग उत्साह अच्छा है और अच्छा रहना चाहिए। ठीक है ना। अच्छा।

डबल विदेशी:- डबल विदेशी अर्थात् डबल पुरूषार्थी। बापदादा ने अभी नाम रखा है डबल पुरूषार्थी। हैं? डबल पुरूषार्थी हैं? जो समझते हैं वर्तमान समय डबल पुरूषार्थ का लक्ष्य है और कर भी रहे हैं, वह हाथ उठाओ। डबल पुरूषार्थ। डबल? बहुत अच्छा। डबल पर तो ताली बजाओ। अच्छा है। आपको देख करके सब खुशी से आगे बढ़ने का लक्ष्य रखेंगे। और आज देख रहे हैं कि विदेश के जो मेन क्वालिटी है, सर्विसएबुल, नॉलेजफुल, सक्सेसफुल वह पहुंच गई है। और मीटिंग भी अच्छी कर रहे हैं। पहली मीटिंग का समाचार तो बापदादा ने सुना कि सभी इन्टरनेशनल हर देश के विशेष आत्मायें मिलकर जो बनाया है वह बहुत अच्छा और सहज एकमत से सहज पास हो गया। तो आप विशेष आत्मायें जो निमित्त बनी उनको बापदादा पदम पदमगुणा मुबारक दे रहे हैं। पुराने पुराने फाउण्डेशन आये हैं। बापदादा को खुशी होती है। पाण्डव भी कम नहीं हैं। पाण्डव भी एक दो से आगे हैं और शक्तियां भी एक दो से आगे हैं। अच्छा। सभी बापदादा के वरदानों को अमर बनाने के लिए सहज विधि यह अपनाओ कि अमृतवेले और साथ में कर्मयोगी बनने के समय भी बार-बार वरदान को रिवाइज कर स्वरूप में स्थित हैं! या नहीं है तो अपने को वरदान के स्वरूप में स्थित करो। बार-बार रिवाइज करो। बापदादा तो दे देते हैं वरदान, लेकिन वरदान को कायम रखने के लिए बार-बार रिवाइज करके स्वरूप में लाओ। अनुभव करो उस वरदान का। रूहानी नशे का अनुभव करो तो वह वरदान आपका अमर वरदान हो जायेगा क्योंकि वरदान के पात्र आप विशेष आत्मायें हो। भक्तों को भी वरदान मिलता है लेकिन वह अल्पकाल का, एक जन्म के लिए है। आपका संगम का वरदान जन्म जन्मान्तर साथ रहता है। इसलिए वरदान को स्वरूप में लाते रहेंगे तो वरदान की सफलता का अनुभव करते रहेंगे। सिर्फ बुद्धि में नहीं स्वरूप में लाओ। उस नशे में रहो। फलक में रहो। फलक रहे मैं वरदाता की वरदानी हूँ। डायरेक्ट वरदाता ने वरदान दिया है। वरदान को अमर बनाओ, कभी कभी वाला नहीं। और डबल विदेशियों के ऊपर सभी ब्राह्मण आत्माओं का विशेष स्नेह है क्योंकि आपने जो आदि भारत के सेवाधारी हैं उनको बहुत सहयोग दिया है। विश्व कल्याणकारी का जो बाप ने टाइटल दिया उसको साकार रूप में भिन्न भिन्न देशों में भिन्न भिन्न कलचर और भिन्न-भिन्न भाषायें, उसमें आप सभी विश्व कल्याण की सेवा में सफलता देने में सहयोगी बने। इसीलिए भारतवासियों को आपकी सेवा पर बहुत-बहुत स्नेह है। अच्छा।

विशेष जो पहली मीटिंग वाले आये हैं वह हाथ उठाओ। कान्स्टीट्युशन की मीटिंग वाले ऊंचा हाथ उठाओ। अच्छा है। बापदादा को संगठन बहुत अच्छा लगता है। और मेहनत प्यार से की है, थके नहीं हैं। उमंग उत्साह और अथकपन से किया, भारत वालों ने भी और डबल विदेशियों ने भी बहुत अच्छा किया है। बापदादा को भी पसन्द है। भारत के भी उठो। तीनों पाण्डवों को विशेष बधाई है क्यों बधाई है? क्योंकि ढांचा आपने बनाया। और डबल विदेशियों को इस बात की बधाई है कि जो भी बना उसमें सहयोग और समय देकरके फाइनल किया। देखेंगे नहीं कहा, कर लिया, इसकी बापदादा को खुशी है। बधाई हो, बधाई हो, सभी को। भारत वालों को भी और डबल विदेशियों को भी, शक्तियों को भी बधाई। अभी ऐसा माइक, जो बापदादा ने सुनाया, विशेष माइक देखते हैं कहाँ से निकलता है, भारत से निकलता है या विदेश से निकलता है। हर एक सोचता है हम करेंगे, यह तो आपका उमंग, आपका चेहरा दिखा रहा है। अच्छा।

मीडिया विंग और स्पार्क विंग वाले आये हैं:- (गीत गाया - हम होंगे कामयाब एक दिन....) दोनों ही अपना अपना कार्य कर रहे हैं। अभी बापदादा को समाचार मिलते रहते हैं। तो मीडिया भी दिनप्रतिदिन आगे बढ़ रहा है। जो टी.वी. में प्रोग्राम्स आते हैं वह आवाज अच्छा फैला रहे हैं। अभी पांव तो रख लिया है, अखबारों में भी अभी मेहनत के बिना जगह दे देते हैं और टी.वी. में भी अभी सहज जगह मिलती रहती है, चांस मिलता है। तो इतना तो किया है, तो मीडिया को भी मुबारक है। अभी कोशिश करो कि विदेश में अभी शुरू तो हुआ है, विदेश में भी टी.वी. में कोई कोई समय तो जाता है लेकिन विदेश और देश का इतना नजदीक का कनेक्शन हो जाए जो चारों तरफ आवाज फैलता जाए। बाकी मेहनत की सफलता मिली है यह बापदादा को भी अच्छा लगता है। मेहनत की है फल भी मिला है। और स्पार्क वाले भी अपना प्लैन बना रहे हैं, अच्छा है अभी ऐसा कुछ करके दिखाओ जो जैसे साइंस प्रत्यक्ष फल दिखाती है, ऐसे साइलेन्स की शक्ति इतना स्पष्ट और सहज प्रत्यक्ष रूप में अनुभव कराये जो सब कहें ब्रह्माकुमारियों के पास सहज साधन है। इन्वेन्शन कर रहे हैं और होगा भी। सब बुद्धि अच्छी चला रहे हैं तो बुद्धि द्वारा कोई न कोई प्रत्यक्ष फल निकल आयेगा। अच्छा है। मेहनत अच्छी है, फल निकल रहा है, निकलता रहेगा, यह तो होना ही है। अच्छा।

अभी एक सेकण्ड में, एक सेकण्ड हुआ, एक सेकण्ड में सारी सभा जो भी जहाँ है वहाँ मन को एक ही संकल्प में स्थित करो मैं बाप और मैं परमधाम में अनादि ज्योतिबिन्दु स्वरूप हूँ, परमधाम में बाप के साथ बैठ जाओ। अच्छा। अभी साकार में आ जाओ। अभी वर्तमान समय के हिसाब से मन-बुद्धि को एकाग्र करने का अभ्यास, जो कार्य कर रहे हो उसी कार्य में एकाग्र करो, कन्ट्रोलिंग पावर को ज्यादा बढ़ाओ। मन-बुद्धि संस्कार तीनों के ऊपर कन्ट्रोलिंग पावर। यह अभ्यास आने वाले समय में बहुत सहयोग देगा। वायुमण्डल के अनुसार एक सेकण्ड में कन्ट्रोल करना पड़ेगा। जो चाहे वही हो। तो यह अभ्यास बहुत आवश्यक है। इसको हल्का नहीं करना। क्योंकि समय पर यही अन्त सुहानी करेगा।

अच्छा - चारों ओर के डबल तख्तनशीन, बापदादा के दिलतख्तनशीन, साथ में विश्व राज्य तख्त अधिकारी, सदा अपने अनादि स्वरूप, आदि स्वरूप, मध्य स्वरूप, अन्तिम स्वरूप में जब चाहे तब स्थित रहने वाले सदा सर्व खज़ानों को स्वयं कार्य में लगाने वाले और औरों को भी खज़ानों से सम्पन्न बनाने वाले सर्व आत्माओं को बाप से मुक्ति का वर्सा दिलाने वाले ऐसे परमात्म प्यार के पात्र आत्माओं को बापदादा का यादप्यार, दिल की दुआयें और नमस्ते।

दादियों से:- सभी को अच्छा लगता है, पुराने आदि रत्नों को देख करके सभी को खुशी होती है। (मनोहर दादी से) चाहे क्लास कराओ नहीं कराओ, लेकिन देख करके भी खुशी होती है। मिलते रहो, हंसाते रहो। हर एक को कोई न कोई वरदान देते रहो। कुछ भी हो लेकिन फिर भी आदि रत्नों से जो भासना आती हैं ना वह और ही आती है। इसलिए अपना कार्य करते रहो। सबको बहलाते रहो। खुश हो जाते हैं ना। (परदादी से) मधुबन में पहुंच जाते हैं ना तो देखकर सब खुश हो जाते हैं। आप भी खुश होती हो। अच्छा है, हिसाब अपना काम कर रहा है, आप अपना काम कर रही हो। अच्छा लगता है, संगठन होता है ना तो सबको खुशी होती है। अच्छा किया है, अपने हिसाब किताब को शार्टकट कर रही हो। अच्छा, सब अच्छा है। सब ठीक चल रहा है। (मोहिनी बहन, मुन्नी बहन से) दादी भी देख करके खुश हो रही है। बापदादा तो खुश है ही, बापदादा तो सदा बच्चों को देख कर खुश होते हैं, कार्य को देख करके भी खुश होते हैं। अच्छा है मिलकर एक दो के सहयोगी बनके जी हाँ, जी हाँ करके चल रहे हैं, चलते रहेंगे। सब खुश हैं ना।

(रमेश भाई ने उषा बहन की तबियत का समाचार सुनाया, आपरेशन हुआ है) वह थोड़ा बहुत होता है, ठीक हो जायेगी। कटकुट होता है तो थोड़ा बहुत फर्क पड़ता है, ठीक हो जायेगी आप अपनी तबियत ठीक करो, ना ना नहीं करो, जो चाहिए वह देते जाओ। जिम्मेवारी है ना। साथी भी बनाते जाओ और अपने को भी बहुत अच्छी रीति से चलाते चलो। ज्यादा बिजी नहीं रखो। थोड़ा थोड़ा सहयोगी बनाते जाओ। बाकी अच्छा कर रहे हैं, अभी तो रिजल्ट बहुत अच्छी है, इन्टरनेशनल हो गया। सभी एक मत होके और निश्चयबुद्धि होके बैठे तो हो गया। सभी की मदद है। लेकिन साकार में तो तीनों एकमत होके और हाँ जी हाँ जी करके घाट तो बनाया बाकी थोड़ा थोड़ा हीरे गढ़ दिये तो अच्छा हो गया। तो मुबारक हो, तीनों को मुबारक हो।

(बृजमोहन भाई से) देखो अपने विचार यूज किया ना, लक्ष्य रखा करना ही है, हो गया ना। इतने वर्ष नहीं हुआ, अभी सभी की बुद्धियों में एक ही संकल्प रहा, करना ही है, सभी का। समय लगा लेकिन सफलता मिली।

तीनों वरिष्ठ भाईयों तथा विदेश की 6 बड़ी बहिनों से:- बापदादा को यह खुशी हुई कि चाहे भाईयों ने चाहे शक्तियों ने लक्ष्य रखा करना ही है तो सहज हो गया ना। टाइम तो देना पड़ता है लेकिन हुआ तो सहज ना। ज्यादा डिसकस तो नहीं हुई ना। तो यह भी एक एक्जैम्पुल बना कार्य करने का।

विदेश के पाण्डवों से: (यह बैकबोन थे) बैकबोन आप थे, निमित्त यह थे। सभी ने जैसे एक कार्य निश्चयबुद्धि होके सफल किया तो इससे सिद्ध है कि सफलता आपके हाथ में है। जो चाहे वह कर सकते हो। यह अनुभव हुआ। खुश हुए। अभी समझा कि संगठन में एक संकल्प दृढ़ता का करने से सब पहाड़ भी राई बन सकता है, रूई बन सकता है। हो सकता है ना। हो सकता है? हुआ ही पड़ा है। शक्तियों का भी शुभ संकल्प है, बापदादा कहेंगे विशेष निमित्त थोड़े बनें लेकिन सबका जो शुभ संकल्प था ना कि करना ही है, उसने काम किया। तो जैसे अभी इन्टरनेशनल फैंसला मिलके किया और प्रैक्टिकल प्रत्यक्ष देखा कि हो गया, ऐसे सदा करते रहना। कोई मुश्किल नहीं है। कितनी भुजायें हैं। हैं तो एक ब्रह्मा बाप की भुजायें। तो भुजाओं ने कमाल तो दिखाई ना। ऐसे ही संगठन को बढ़ाते रहना। एक दो के सहयोगी रहना। ठीक है ना। बापदादा तो समझते हैं कि इस ग्रुप को कोई विशेष यादगार देना चाहिए। यादगार में एक वरदान याद रखना - कोई भी कार्य करो अमरभव का वरदान पहले याद करो। तो अमर ही होगा। ठीक है ना। अच्छा, बहुत अच्छा। न्युयार्क की मोहिनी बहन ने डिनीस बहन की याद दी: उसको कहना कि आप भी एक डबल विदेशियों में एक्जैम्पुल हो। इशारे में समझने वाली हो। मुबारक हो। अभी इसी ढंग से चलाते चलो। सफलता का वरदान है। किसी द्वारा सफल हो जाता है।

अन्नपूर्णा बहन (चेन्नई):- अभी आपकी शक्ल में बीमारी नहीं है, ऐसे ही रहना। बस मुस्कराती रहना, आपकी दवाई यही है मुस्कराती रहना। दवाई भले करो लेकिन मुस्कराती रहो।